किसान आंदोलन के प्रणेता परमहंस स्वामी सहजानंद सरस्वती के परिनिर्वाण दिवस 26 जून (Death anniversary of Swami Sahajanand Saraswati) को उनके पैतृक गांव पर मनाई गई। यद्यपि प्रत्येक वर्ष उनके पैतृक ग्राम देवा में तथा दुल्लहपुर रेलवे स्टेशन पर लगी प्रतिमा के समक्ष विभिन्न कार्यक्रम होते हैं। किंतु इस बार वैश्विक महामारी के चलते सादगी के साथ कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए संपन्न हुआ।
स्वामी सहजानंद सरस्वती को भारत में संगठित किसान आंदोलन का जनक माना जाता है। उन्होंने अंग्रेजी शासन के दौरान शोषण से कराहते किसानों को संगठित किया और उऩको जमींदारों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया, लेकिन बिल्कुल अहिंसक तरीके से।
स्वामी जी किसानों के हक के लिए बुलन्द आवाज में कहते थे “कैसे लोगे मालगुजारी, लठ हमारा जिंदाबाद” स्वामीजी ने ही नारा दिया था, जो किसान आंदोलन के दौरान चर्चित हुआ। ‘जो अन्न-वस्त्र उपजाएगा, अब सो कानून बनायेगा। यह भारतवर्ष उसी का है, अब शासन भी वहीं चलायेगा’।
इस अवसर पर कोरोना काल में लोगों की इलाज करने वाले कर्तव्य परायण ग्रामीण चिकित्सकों को सम्मानित भी किया गया।