मानव रोग – Human disease

मानव रोग – Human disease

सुक्ष्मजीव जो रोग उत्पन्न करते हैं – पैथोजन।

 

रोगों का अध्ययन – पैथोलाजी।

 

जीवाणु

खोज – ल्यूवेनहॅाक।

एक कोशकीय जीव।

प्रोकैरयोटिक कोशिका – अतः स्पष्ट केन्द्रक नहीं।

माइटोकोन्ड्रिया अनुपस्थित।

साधारण सर्दी जुकाम जीवाणु से होते हैं।

 

जीवाणु जनित रोग

1. टायफाइड/मोतीझरा/मियादी बुखार/आंत्र बुखार

प्रभावित अंग – आंते(पाचन तंत्र)

माध्यम – दुषित जल

कारक – साल्मोनेला टाईफी

टीका – TAB/O.T.V.(Oral Typhoid Vaccine)

टेस्ट – विडाल टेस्ट

 

2. टी.बी./तपेदिक/क्षय रोक/काक रोग

प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)

मााध्यम – वायु

कारक – माइकोबैक्टीरिया टयुबर कुलोसीस

टीका – BCG(Bacille Calmette Guerin)/DOTS(Directly Observed Treatment, Short-Course)

टेस्ट – मोनटोक्स

 

3. टिटेनस/धनुर्वात/धनुष्टंकार/लाॅक-जाॅ

प्रभावित अंग – तंत्रिका तंत्र

माध्यम – मिट्टी, जंग लगी वस्तु, खुले घाव द्वारा

कारक – क्लोस्ट्रीडियम टिटेनी

टीका – ATS(Anti Tetanus Serim)

 

4. परट्यूसिस/काली खांसी/कुकर खांसी

प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)

माध्यम – वायु

कारक – हीमोफिलस परटूसिस

टीका – DTP(diphtheria, pertussis (whooping cough), and tetanus)

 

5. डिप्थीरिया/रोहिणी

प्रभावित अंग – गला

माध्यम – कच्चा दुध

कारक – कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थेरी

टीका – DTP

 

6. कोढ़/कुष्ठ

प्रभावित अंग – त्वचा/तंत्रिका कोशिका

माध्यम – वायु

कारक – माइकोबैक्अिरियम लैप्री

टिका – MDT(multidrug therapy)/BCG

 

7. हैजा/कोलेरा

प्रभावित अंग – आंते(श्वसन तंत्र)

कारण – निर्जलीकरण

उपाय – ORS

 

8. प्लेग

प्रभावित अंग – रूधिर वाहिनियां

वाहक – चूहे पर पाए जाने वाले पिस्सू

 

9. निमोनिया

प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)

माध्यम – वायु

 

10. भोजन विषाक्तता

प्रभावित अंग – पाचन तंत्र/आंते

कारक – निर्जलीकरण/क्लोस्ट्रीडियम बोटूलिनियम

 

11. दिमागी बुखार/मेनिजाइटिस(मस्तिष्क का आवरण)

प्रभावित अंग – तंत्रिका तंत्र

 

कुछ जीवाणु हमारे दैनिक जीवन में लाभदायक भी हैं –

1. Lactobacillus – दुध से दही बनना – खमीरीकरण(किण्वन) 2. E-coli जीवाणु – मनुष्य की बड़ी आंत में vit. B12 का संश्लेषण करता है।(सहजीवी संबंध) 3. राइजोबियम – दलहनी फसलों की जड़ो में नाइट्रोजन स्थिरीकरण(सहजीवी संबंध) 4. एंटीबायोटिक्स/प्रतिजैविक – अधिकांशतया निर्माण जीवाणुओं से होता है। पहली एंटीबायोटिक्स penicillin – कवक – Alexander Fleming

 

विषाणु

खोज – इवालोवेस्की ने तंबाकू के पत्ते में मोजैक रोग

पहला विषाणु – TMV( tobacco mosaic virus )

सजीव व निर्जीव के बीच की कड़ी

विषाणु जनित रोग

 

1. डेंगु/पीत ज्वर/हड्डी तोड़ बुखार

प्रभावित अंग – यकृत

वाहक – एडिज मच्छकर

टेस्ट – टॅार्नीक्वेट टेस्ट

 

2. चिकनगुनिया

प्रभावित अंग – यकृत

वाहक – एडिज मच्छर

 

3. खसरा

प्रभावित अंग – यकृत

माध्यम – वायु

 

4. गलसुआ – लार ग्रंथि – जीवन में एक बार

 

5. रूबेला

टीका -MMR(measles, mumps, and rubella)9-5 Age

 

6. चेचक

प्रभावित अंग – त्वचा(स्थायी निशान)

कारक – वेरिओला वायरस

 

7. छोटी चेचक

प्रभावित अंग – त्वचा(अस्थायी निशान)

कारक – वेरिसेला वायरस

टीका – मृत या निष्क्रीय रोगाणु

खोज – एडवर्ड जेनर

 

8. पीलिया/हेपेटाइटिस

प्रभावित अंग – यकृत

माध्यम – दूषित जल

 

9. पोलियो

प्रभावित अंग – मेरूरज्जु(तंत्रिका तंत्र)

दवाई – साल्क वैक्सीन/OPV(Oral polio vaccine)

पोलियो दिवस – 24 अक्टुबर

 

10. फ्लू/इन्फ्लुएंजा

प्रभावित अंग – श्वसन तंत्र

माध्यम – वायु

 

11. स्वाइन फ्लू

प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)

कारक – H1N1

वाहक – सुअर

दवा – टमीफ्लू

 

12. बर्ड फ्लू

कारक -H5N1,H9N2

वाहक – मुर्गी

 

13. रेबिज/हाइड्रोफोबिया

प्रभावित अंग – मस्तिष्क व मेरूरज्जु(तंत्रिका तंत्र)

कारक – रहबड़ो वायरस

वाहक – कुत्ता, बिल्ली, बंदर, लोमड़ी आदि की लार

एंटीरेबिज का टीका – लुईस पाश्चर

 

14. सार्स/किलर निमोनिया

प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)

कारक – कोरोना वायरस

उद्भव – 2003 में चीन के ‘युआंग डोंग‘ शहर में

 

15. एड्स/आतशक(यौन संक्रमित रोग)

AIDS-Acquired Immune Deficiency Syndrome

कारक – HIV-Human immunodeficiency virus (रिट्रोवायरस)

लक्षण – रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है।

दवा – एंटीरिट्रोवायरल (ART),एजिडो थायमिडीन(AZT)

टेस्ट -elisa(Enzyme Linked Immuno Sorbent Assay), वेस्टर्न ब्लाट टेस्ट

प्रथम रोगी – कैलिफोर्निया (USA – 1981)

भारत में प्रथम रोगी – चेन्नई 1986

एड्स दिवस – 1 दिसम्बर

लोगो – लाल रिबन

 

प्रोटोजोआ जनित रोग

मलेरिया

मलेरिया रोग का कारक प्लाजमोडियम परजीवी(प्रोटोजोआ) है। इसका वाहक मादा ऐनोफेलिज मच्छर है।

दवा – कुनैन(क्लोरोकुनैन) – सिनकोना वृक्ष की छाल से प्राप्त होती होती है।

 

हेल्मिन्थिज जनित रोग

1. बाला या नारू

कारक – ड्रेकनकुलस मेडिनेन्सिस नामक कृमि

माध्यम – पानी(तालाब, नाड़ी)

वाहक – साइक्लोप्स

रोकथाम – साइक्लोप्स को नष्ट करने हेतु तालाबों में बारबेल मछलियां छोड़ी जाती है।(जैविक नियंत्रण)

राज्य में सन् 2000 के बाद इसका कोई रोगी नहीं पाया गया।

 

2. हाथिपांव

प्रभावित अंग – हाथ पैर, छाती आदि सुज जाते हैं।

कारक – वचेरिया बैंक्राप्टाई कृमि

वाहक – एडीज मच्छर

दवा – डाइईथाइल कार्बेमेजीन

 

अनुवांशिक रोग

वे रोग जो माता या पिता से बच्चों तक पहुंचते हैं। या पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हैं।

1. हीमोफीलिया(राॅयल बिमारी)

हीमोफीलिया के जिन …… लिंग गुणसूत्र पर पाए जाते हैं

वाहक – माता, स्वंय रोग ग्रसित नहीं होती।

प्रभाव – खुन का थक्का देरी से बनता है।

 

2. वर्णान्धता

इसके जिन भी X लिंग गुणसुत्र पर पाए जाते हैं।

वाहक – माता, स्वंय रोग ग्रसित नहीं।

प्रभाव – लाल व हरे रंग में विभेद नहीं कर सकते।

अन्य अनुवांशिक रोग

थैलेसीमिया, टर्नर सिन्ड्रोम, डाऊन सिड्रोम, पटाऊ सिन्ड्रोम, क्लिने फेल्टर

 

अन्य रोग

कैन्सर

कोशिकाओं कि अनियन्त्रित वृद्धि से बने असामान्य उत्तक पिण्ड(ट्यूमर) कैंसर कहलाते हैं।

कारक – प्रोटोआॅन्कोजीन

इसका स्थाई उपचार अभी संभव नहीं हो पाया है लेकिन शल्य उपचार चिकित्सा द्वारा ट्यूमर को बाहर निकाला जा सकता है या रेडियोधर्मी कोबाल्ट कि किरणों के प्रयोग से इन्हें नष्ट कर दिया जाता है।

 

मधुमेह

अग्नाशय इन्सुलिन हार्मोन का स्त्रावण ठीक से नहीं कर पाता जिससे इन्सुलिन की कमी के कारण शर्करा का पाचन नहीं होता और शरीर को ऊर्जा प्राप्त नहीं होती इसके उपचार हेतु इन्सुलिन के इन्जेक्शन लेने चाहिए।

हृदयघात

हृदय के कपाटों में या रक्तवाहिनियों में रूकावट आने से हृदय ठिक से काम नहीं कर पाता।

 

रक्ताल्पता(एनिमिया)

लौह तत्व की कमी के कारण शरीर में रक्त की आॅक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है। जिससे रोगी को थकान महसुस होती है।

 

फफुंद से होने वाले रोग

खाज

कारक – एकेरस स्केबीज

प्रभावित अंग – त्वचा

दाद

कारक – ट्राइकोफाइटाॅन

प्रभावित अंग – त्वचा

 

दमा

कारक – एस्पर्जिलस फ्यूमिगेटस

प्रभावित अंग – फेफड़े

 

 

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