
भारत ने ध्रुवीय क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु एक बड़ा कदम उठाया है। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) और नॉर्वे की कोंग्सबर्ग ओस्लो कंपनी के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है, जिसके तहत भारत अपना पहला स्वदेशी पोलर रिसर्च वेसल (PRV) विकसित करेगा। यह पहल समुद्री अनुसंधान और वैज्ञानिक प्रगति में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।
समझौता ज्ञापन (MoU):
· भारत की GRSE और नॉर्वे की कोंग्सबर्ग ओस्लो कंपनी के बीच MoU पर हस्ताक्षर।
· स्थान: ओस्लो, नॉर्वे।
· उपस्थिति: केंद्रीय पोत, नौवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सारबानंद सोनोवाल।
PRV का उद्देश्य और विशेषताएँ:
· भारत का पहला स्वदेशी पोलर रिसर्च वेसल (PRV) बनेगा।
· अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से लैस होगा।
· समुद्र की गहराइयों, जलवायु परिवर्तन, और समुद्री पारितंत्रों का अध्ययन करने में सहायक।
· पृथ्वी के भूत, वर्तमान और भविष्य को समझने हेतु अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहन।
अंतरराष्ट्रीय सहभागिता:
· श्री सोनोवाल ने शिपिंग और ओशन बिजनेस पर मंत्री स्तरीय चर्चा में भाग लिया।
· भारत के समुद्री दृष्टिकोण “MAHASAGAR – Growth for All” को वैश्विक मंच पर दोहराया।
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