पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेगी भारत का प्रतिनिधित्व

विश्वव्यापी रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार आज रोम के सेंट मैरी मेजर बेसिलिका में किया जाएगा। यह सेवा भारतीय मानक समयानुसार दोपहर 1:30 बजे वेटिकन सिटी के सेंट पीटर स्क्वायर में शुरू होगी। इस रस्म का नेतृत्व कार्डिनल कॉलेज के डीन कार्डिनल जियोवानी बतिस्ता रे करेंगे।

शोक संतप्त लोगों की उपस्थिति

दिवंगत पोप के अंतिम संस्कार में दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों और प्रतिनिधियों सहित हजारों शोक संतप्त लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। इनमें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हैं, जो भारत सरकार और लोगों की ओर से शोक संवेदना व्यक्त करेंगी।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली जैसे अन्य विश्व नेता भी इस समारोह में शामिल होंगे।

भारत की श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति मुर्मू ने कल इटली के रोम पहुंचकर वेटिकन सिटी के सेंट पीटर बेसिलिका में पुष्पांजलि अर्पित कर पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दी। उनके साथ संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और गोवा विधानसभा के उपाध्यक्ष जोशुआ डी सूजा भी उपस्थित थे।

ऐतिहासिक संदर्भ

अंतिम संस्कार समारोह का समापन रोम के सेंट मैरी मेजर में ताबूत को स्थानांतरित करने के साथ होगा, जहां उन्हें दफनाया जाएगा। यह एक सदी से भी अधिक समय में वेटिकन के बाहर पहला पोप का अंतिम संस्कार है, क्योंकि 1903 में वेटिकन के बाहर दफनाए जाने वाले एकमात्र पोप पोप लियो XIII थे।

पोप फ्रांसिस का जीवन

पोप फ्रांसिस, जो रोमन कैथोलिक चर्च का नेतृत्व करने वाले पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे, का 21 अप्रैल को 88 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उनकी मृत्यु डबल निमोनिया से जूझते हुए अस्पताल में पांच सप्ताह बिताने के बाद हुई, और वे घर लौटने के एक महीने से भी कम समय बाद स्ट्रोक से निधन हो गए।

भारत में राजकीय शोक

पोप फ्रांसिस के निधन पर भारत सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की थी। गृह मंत्रालय ने कहा कि पूरे भारत में उन सभी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा जहाँ नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।

इस महीने की 22 और 23 तारीख को दो दिन का राजकीय शोक मनाया गया, जो पोप फ्रांसिस के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

निष्कर्ष

पोप फ्रांसिस का निधन न केवल रोमन कैथोलिक चर्च के लिए, बल्कि विश्व समुदाय के लिए भी एक अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान और दृष्टिकोण ने धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर एक नई दिशा दी, और उनका स्मरण हमेशा किया जाएगा।

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