मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि ताड़ी के बदले नीरा का उत्पादन करने वालों को राज्य सरकार मदद देगी। नीरा का व्यवसाय करने के लिए ऐसे लोगों को सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही सात महीने तक एक-एक हजार रुपये भी दिए जाएंगे।
ताड़ी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, जबकि नीरा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। मुख्यमंत्री अपनी समाज सुधार यात्रा अभियान के पांचवें पड़ाव में गुरुवार को समस्तीपुर शहर के पटेल मैदान में जीविका दीदियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मंच पर ही पदाधिकारियों को ताड़ी के बदले नीरा का उत्पादन करने वालों को मदद देने के लिए सभी आवश्यक कार्य करने का निर्देश दिया।
क्या है नीरा :
ताड़ और खजूर के पेड़ से निकलने वाले ताजे रस को नीरा कहा जाता है । जब यही रस काफी देर तक बाहर रह जाता है तो इसमें फर्मेटेशन( खमनीकरण) हो जाता है तो ये ताड़ी बन जाता है। नीरा पीने से ताजगी महसूस होती है। जबकि ताड़ी पीने से हल्का नशा होता है ।नीरा पीने में मीठा होता है जबकि ताड़ी खट्टा और कड़वा लगता है.
नीरा में 84.72 फीसदी जल रहता है जबकि कार्बोहाइड्रेट 14.35 फीसदी,प्रोटीन-0.10 फीसदी,वसा-0.17फीसदी,मिनरल-0.66 फीसदी होता। मिनरल्स में कैल्शियम,आयरन,पोटैशियम,सोडियम और फॉस्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। साथ ही विटामिन सी और विटामिन बी कॉम्पलेक्स भी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है
यानि 100 ml नीरा से 110 कैलोरी एनर्जी मिलती है । नीरा न तो अम्लीय है और न ही क्षारीय है ये पानी से कुछ ही भारी है।