
परिचय: इस वर्ष नवंबर से मार्च के बीच हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में बर्फ का जमाव सामान्य स्तर से 23.6 प्रतिशत कम रहा, जो पिछले 23 वर्षों में सबसे कम है। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन के प्रभावों को दर्शाती है, जो क्षेत्र की पारिस्थितिकी और जल संसाधनों पर गंभीर प्रभाव डाल रही है।
बर्फ का जमाव और उसकी महत्ता:
- बर्फ का जमाव बर्फबारी के बाद जमीन पर बर्फ के रहने के समय के अंश को मापता है।
- औसतन, बर्फ पिघलने से प्रमुख नदी घाटियों में कुल वार्षिक जल प्रवाह में लगभग 23 प्रतिशत का योगदान होता है, जो कृषि, जल आपूर्ति और ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
हालिया रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) की 2025 हिंदू कुश हिमालय स्नो अपडेट में कहा गया है कि यह लगातार तीसरा वर्ष है जब पूरे क्षेत्र में मौसमी बर्फबारी सामान्य से कम रही है।
- गंगा बेसिन में बर्फ का जमाव सामान्य से 24.1 प्रतिशत कम रहा है, जो पिछले 23 वर्षों में सबसे कम है।
- 2015 में, गंगा बेसिन में बर्फ का जमाव सामान्य से 30.2 प्रतिशत अधिक था, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में बदलाव को दर्शाता है।
क्षेत्रीय प्रभाव:
- मेकांग क्षेत्र में बर्फ के जमाव में सबसे ज्यादा गिरावट आई है, जहां 51.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
- यह गिरावट न केवल जल संसाधनों को प्रभावित कर रही है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी और कृषि पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
विशेषज्ञों की राय:
- आईसीआईएमओडी के महानिदेशक पेमा ग्यात्शो ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन ने हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में बार-बार होने वाली बर्फ विसंगतियों के एक अपरिवर्तनीय क्रम को पहले ही बंद कर दिया है।
- यह स्थिति जलवायु परिवर्तन के प्रति हमारी संवेदनशीलता को उजागर करती है और इसके प्रभावों को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
निष्कर्ष: हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में बर्फ का जमाव में कमी जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों का संकेत है। यह न केवल क्षेत्र की पारिस्थितिकी को प्रभावित कर रहा है, बल्कि जल संसाधनों और स्थानीय समुदायों की जीवनशैली पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। इस स्थिति को सुधारने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन को कम करने की आवश्यकता है।