चिपको आंदोलन के नेता और विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) नहीं रहे। विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् बहुगुणा का कोरोना वायरस से निधन हो गया है। 95 साल की उम्र में सुंदरलाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) ने ऋषिकेश एम्स में अंतिम सांस ली। कुछ दिन पहले वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।
विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) पिछले कई वर्षों से हिमालय में वनों के संरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे थे। वह पहले 1970 के दशक में चिपको आंदोलन के प्रमुख सदस्यों में से एक थे। बहुगुणा ने स्थानीय महिलाओं के साथ मिलकर सत्तर के दशक में पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए चिपको आंदोलन की स्थापना की। आंदोलन की सफलता ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील वन भूमि में पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून बनाया। उन्होंने चिपको का नारा भी गढ़ा: ‘पारिस्थितिकी स्थायी अर्थव्यवस्था है’। बाद में उन्होंने 1980 और 2004 की शुरुआत में शुरू हुए टिहरी बांध विरोधी आंदोलन का नेतृत्व भी किया।