पवन

पवन 

पृथ्वी की सतह पर चलने वाली हवा को पवन कहा जाता है। हवा के दबाव की भिन्नता हवाओं की गति के कारण पाई जाती है। दबाव में भिन्नता या दबाव रेखाएं जितनी अधिक होंगी, हवाएं उतनी ही तेजी से चलेंगी।

पवन की दिशा एवं वेग को प्रभावित करने कारक

दाब प्रवणता बल

वायुमंडलीय दबाव भिन्नता एक बल पैदा करती है। दूरी के संबंध में, दबाव परिवर्तन की दर को दाब प्रवणता (pressure gradient ) कहा जाता है। जहाँ समदाब रेखाएँ समीप होती हैं, वहाँ दाब प्रवणता अधिक होती है और जहाँ समदाब रेखाएँ दूर होती हैं, वहाँ प्रवणता कम होती है।

घर्षण बल

यह हवाओं की गति को प्रभावित करता है, क्योंकि घर्षण जमीन पर सबसे अधिक है और इसका प्रभाव 1 से 3 किमी की ऊँचाई तक होता है। इसलिए, सतह पर हवाओं का वेग घर्षण से प्रभावित होता है, जबकि समुद्री सतह में कम घर्षण के कारण हवाओं का वेग प्रभावित नहीं होता है।

हवा कभी भी पृथ्वी के चक्कर लगाने के कारण उच्च दबाव वाले क्षेत्र से निम्न-दबाव वाले क्षेत्र में सीधे नहीं जाती है। वह फेरल के नियम के अनुसार पवनें अपना मार्ग परिवर्तित कर लेती है। इस परिवर्तन का कारण कोरिओलिस बल है, जो पृथ्वी के घूर्णन द्वारा उत्पन्न अपकेंद्रीय बल का परिणाम है। सबसे पहले 1844 में, फ्रांसीसी वैज्ञानिक कोरियोसिल ने इस विषय में एक विवरण प्रस्तुत किया था, इस बल को उनके नाम पर कोरियोसिल बल कहा जाता है।

इसके प्रभाव से, हवाएं उत्तरी गोलार्ध में अपनी मूल दिशा से ‘दाहिने’ ओर और दक्षिणी गोलार्ध में अपने ‘बाएं’ किनारे पर विस्थापित हो जाती हैं। जब हवाओं का वेग अधिक होता है तो उसका विक्षेपण भी अधिक होता है। कोरियोसिल बल ध्रुवों पर सबसे अधिक है और भूमध्य रेखा पर कम पाया जाता है।

फेरल का नियम (ferrel’s Law)
इस नियम के अनुसार, पृथ्वी पर स्वतंत्र रूप से चलने वाले सभी वायुराशियाँ पृथ्वी के दैनिक गति के कारण उत्तरी गोलार्ध में ‘दाई’ ओर मुर जाते हैं।
बाईबेलट का सिद्धांत (buy – ballot’s Law ) : तापमान और वायु दबाव या वायुमंडल में अन्य असाधारण कारणों के कारण अचानक विक्षेपण होता है। धीरे-धीरे वे तूफानों का रूप लेते हैं, उन्हें चक्रवात या प्रतिचक्रवात कहा जाता है। Bibelat नामक वैज्ञानिक ने इस नियम में चलने वाली वायु की दिशा पर इस नियम को प्रतिपादित किया। तदनुसार, उसके अनुसार चलती हुई हवा की ओर कम वायुदाब और दाई ओर अधिक वायुदाब होगा।

पवनों का वर्गीकरण :-

पवनों की अवधि के अनुसार उन्हें दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

1. स्थायी या सनातनी पवन

जिस दिशा में हवाएँ प्रायः वर्ष भर चलती रहती हैं उसे प्रचलित पवन या स्थायी पवन कहा जाता है। तीन प्रकार की स्थायी या सनातनी पवनें या भूमण्डलीय पवनें हैं, जो दोनों गोलार्धों में बहती हैं।

i. सन्मार्गी पवन (व्यापारिक पवन )

वायु उठकर ध्रुवों की ओर बढ़ती है, लेकिन 30 डिग्री उत्तर और दक्षिण अक्षांश पर, दबाव बढ़ जाता है। इसलिए, हवाएं यहां उतरती हैं और इकट्ठा होती हैं। जैसे ही पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है, ध्रुवों की हवाएं 30 डिग्री दक्षिण और उत्तर अक्षांशों पर पर एकत्र हो जाती है। यहाँ एकत्रित हवाएँ भी उच्च दबाव के कारण कम दबाव की ओर बढ़ती हैं। इस तरह, भूमध्य रेखा की ओर उपोष्णकटिबंधीय उच्च दबाव पेटियों से भूमध्य रेखा की ओर आने वाली हवाओं को सन्मार्गी पवनें (trade winds ) कहा जाता है। सन्मार्गी पवनें उत्तरी गोलार्ध्द में उत्तरी – पूर्वी सन्मार्गी पवनों के नाम से विख्यात है, और लगभग 30 डिग्री – 35 डिग्री उत्तरी अक्षांश से भूमध्य रेखा के मध्य चलती है। जब सूर्य सीधे कर्क रेखा पर चमकता है, तो यह अक्षांश से 40 डिग्री उत्तर में भूमध्य रेखा की ओर बढ़ता है। उनकी दिशाएँ दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिण-पूर्व होने के कारण, इसे दक्षिण-पूर्वी-सनमर्गी पावन के नाम से जाना जाता है।

भू विक्षेपी पवनें ( geostrophic wind )
जब हवाएं समदाब रेखाओं के समकोण पर चलती हैं, तो इसे कोरोसिल बल द्वारा विक्षेपित किया जाता है। जब ये हवाएँ समदाब रेखाओं के समानांतर चलती हैं, तो उन्हें भू-विक्षेपी हवाएं कहा जाता है।

ii. पश्चिमी पवन या पछुआ पवन

ये हवा उपोष्ण वायुदाब से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पर चलने वाली हवाएं हैं। दक्षिणी गोलार्ध में समुद्र के विस्तार अधिक होने के कारण, ये हवाएँ लगातार चलती हैं और अधिक शक्तिशाली होती हैं। यह 40 ° दक्षिण अक्षांश और 60 ° दक्षिण अक्षांश से मध्य क्षेत्रों में पूरी तरह से विकसित होती है। दक्षिणी गोलार्ध में उच्च गति के कारण, उन्हें गरजने वाला चालीसा, भयानक पचासा तथा चीखता साठा कहा जाता है। नाविक इन हवाओं से बहुत डरता है, क्योंकि कभी-कभी ये समुद्री जहाजों को डुबो देते हैं।

iii. ध्रुवीय पवन

ये पवनें अत्यधिक ठण्डी होती है। ये पवनें ध्रुवीय उच्च वायुदाब (polar high pressure ) से उपध्रुवीय निम्न दाब की ओर उत्तर गोलार्ध्द में उत्तर – पूर्व से दक्षिण – पश्चिम तथा दक्षिण गोलार्ध्द में दक्षिण -पूर्व से दक्षिण – पश्चिम चलती है। इन तीनों ग्रहीय पवनों के कारण दोनों गोलार्ध्दों में तीन तरह की व उच्चतलीय प्रवाह के अन्तर्सम्बन्धित प्रारूप के कारण दोनों गोलार्ध्द में तीन तरह की कोशिकाओं का निर्माण होता है, जिन्हे क्रमशः हैडले, फेरेल व ध्रुवीय कोशिका कहते है।

2. स्थानीय या अस्थायी पवन

किसी स्थान विशेष में चलने वाली विशिष्ट पवन को स्थानीय या अस्थायी पवन कहा जाता है.

स्थानीय पवनें के तीन वर्गों में रखा गया है :-  

i. मानसून हवाएँ

ग्लोब के उन सभी भागों की हवा को, जिनकी दिशा में ऋतू के अनुसार पूर्ण विलोम की स्थिति आ जाती है, मानसून कहा गया। मानसून की हवा की एकमात्र विशेषता दिशा का परिवर्तन नहीं है, सामान्य तौर पर, सामान्य रूप से मानसून हवाएँ धरातल की संवहनीय क्रम ही है, जिसका उद्भव स्थल और पानी की विपरीत प्रकृति और तापीय भिन्नता के कारण होता है। जिन भागों में मानसूनी हवाएँ अधिक होती हैं, वे मानसून जलवायु क्षेत्र कहलाते हैं। ग्लोब पर मानसून की जलवायु दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन और जापान में सबसे अधिक विकसित होती है। इसके अलावा, गिनी की खाड़ी के साथ पश्चिम अफ्रीका का हिस्सा, अयणवर्ती पूर्वी अफ्रीका, उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, विशेषकर समीपी प्रांत की खाड़ी आदि मानसून जलवायु के अंतर्गत आते हैं। लेकिन यहां मानसून की हवा अपने मूल स्वभाव में नहीं बल्कि कुछ संशोधित रूप में है।

ii. स्थल व समुद्र समीर

ऊष्मा के अवशोषण और हस्तांतरण में स्थल और समुद्र में अंतर होता है। दिन के दौरान, इलाके समुद्र की तुलना में गर्म हो जाते हैं। इसलिए स्थल पर हवाएँ ऊपर उठती है और कम दबाव का क्षेत्र बनाती हैं, जबकि समुद्र अपेक्षाकृत ठंडे होते हैं और उन पर उच्च दबाव होता है। इससे समुद्र से स्थल तक दबाव प्रवणता आ जाती है और समुद्र से स्थल की ओर हवाएँ चलने लगती हैं।

रात्रि में इसके एकदम विपरीत प्रक्रिया होती है। स्थल समुद्र की अपेक्षा जल्दी ठण्डा हो जाता है। दाब प्रवणता स्थल से समुद्र की ओर होने पर स्थल समीर प्रवाहित होती है।

iii. पर्वत व घाटी समीर

दिन के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में ढाल गर्म हो जाती है, जिससे ढलान पर दबाव कम होता है और घाटी में अधिक दबाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप हवा ढलान के साथ ऊपर उठती है और इस स्थान को भरने के लिए हवा घाटी से बहती है। इन हवाओं को घाटी समीर कहा जाता है।

पहाड़ की ढलानें रात में ठंडी हो जाती हैं, जिससे ढाल पर उच्च दाब और घाटी में निम्न दाब बन जाता है, जिसके परिणामस्वरूप सघन वायु घाटी में नीचे उतरती है। जिसे पर्वतीय पवन कहा जाता है। उच्च पठारी हिम क्षेत्रों से घाटी में बहने वाली ठंडी हवा को अवरोही (katabatic) हवाएं कहा जाता है। एक अन्य प्रकार की गर्म हवाएं पर्वत श्रेणियों के पवनविमुख ढालों पर बहती हैं, जिन्हें आरोही हवाएं कहा जाता है। पर्वत श्रृंखलाओं को पार करते हुए, ये आर्द्र हवाएँ घनीभूत होती हैं और वर्षा का कारण बनती हैं।

जब ये हवाएं पहाड़ियों से नीचे उतरती हैं, तो रुध्दोंष्म (Adiabatic ) प्रक्रिया से गर्म हो जाती है। ये शुष्क हवाएँ कुछ ही समय में बर्फ पिघला सकती हैं।

विश्व की प्रमुख स्थानीय हवाएँ 

गर्म एवं शुष्क हवाएँ

नाम        विशेषता
चिनूक(Chinook) पर्बतीय ढाल के सहारे चलने वाली अमेरिका की गर्म एवं शुष्क हवाएँ
फॉन    (fohn) आल्पस पर्बत के ऊपरी ढाल से निचे उतरने वाली गर्म एवं शुष्क हवा, सबसे जयादा  प्रभाब स्विट्जरलैंड में  
जोंडा(jonda) एंडीज पर्बत से अजेंर्टीना की और प्रबहित होने वाली शुष्क हवा जिसे शीत फॉन कहते है
हबुब (habub) सूडान में खार्तूम के निकट गर्मी में चलने वाली तेज आंधी जिससे भरी बारिश होती है
सिरक्को (sirocco) सहारा मरुस्थल से भूमध्य सागरकी और चलने वाली गर्म हवा
हरमट्टन (haramattan) सहरा  रेगिस्तान से उत्तेर पूर्ब दिशा मई चलने वाली गर्म हवा
ब्रिकफिलटर(breakfilter) आस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रान्त मे चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवा 
सांता आना (santaana)      अमेरिका मे चलने वाली गर्म एवं धूल भरी हवा
ब्लैक रोलर (black rooler) अमेरिका में चलने वाली एक हवा
शामल (shamal) इराक तथा फारस की खारी में चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवा
बर्गस  (bargs) दक्षिण अफ्रीका मे जारी में चलने वाली गर्म हवा
सिमुक (somun) ईरान में कुर्दिस्तान पर्बत उत्तर – पशिचम दिशा मे चलने वाली गरम हवा
करबुरॉन (caraburon) गर्मी मे तारिम बेसिन में चलने वाली गर्म हवा

ठण्डी हवाएँ 

नाम   विशेषता
मिस्ट्रल रोनघाटी (रूस ) मे जारी मे चलने वाली शुष्क हवा
बोरा  युगोस्लाबिया  के एड्रियाटिक तटपर चलने वाली ठंडी हवा  
ट्रेमोंटाना    उत्तरी इटली मे चलने वाली ठंडी हवा
पोनेंटी     भूमध्यसागरीय फ़्रांस में चलने वाली ठंडी हवा  
पैमपेरा    अर्जेंटीना तथा उरुग्बे के पम्पास क्षेत्र मे चलने वाली धुर्बिय हवा
पापागायो मैक्सिको के तट पर चलने वाली शीतल,शुष्क तथा तीव्र  हवा
जोरान        ज़ुरा पर्बत से जेनेवा झील तक रात्रि में चलने वाली शीतल एवं शुष्क हवा
नॉर्दर्न     टेक्सास राज्य (अमेरिका ) मे चलने वाली शुष्क एवं  शीतल हवा
नार्ट्री       अमेरिका में चलने वाली एक हवा  
ब्लिजार्ड      साइबेरिया एवं अमेरिका मे चलने वाली धुर्बिय हवा
बुरान    रूस में चलने वाली एक हवा
पुर्गा आलस्का एवं साइबेरिया के टुंड्रा प्रदेश की ठंडी हवा  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join Our Telegram