17th India State of Forest Report

13 जनवरी‚ 2022 को केंद्रीय पर्यावरण‚ वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 17वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट (17th India State of Forest Report)‚ 2021 जारी की। इसका प्रकाशन वर्ष 1987 से किया जा रहा है। राष्ट्रीय वन नीति‚ 1988 के अनुसार‚ देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 33 प्रतिशत भू-भाग वृक्षावरण से आच्छादित होना चाहिए।

इस रिपोर्ट की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं-
देश में कुल वन और वृक्षावरण (Forest and Tree Cover) 8,09,537 वर्ग किमी. है‚ जो कि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है।
देश में कुल वनावरण 7,13,789 वर्ग किमी. है‚ जो कि कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.71 प्रतिशत है।
देश में वन और वृक्षावरण की स्थिति में वर्ष 2019 की तुलना में 2,261 वर्ग किमी. की वृद्धि (0.28 प्रतिशत) हुई है।
इसमें से वनावरण में 1,540 (0.22 प्रतिशत) वर्ग किमी. और वृक्षावरण क्षेत्र में 721 वर्ग किमी. (0.76 प्रतिशत) की वृद्धि हुई है।

वनावरण में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष 5 राज्य हैं-
आंध्र प्रदेश (647 वर्ग किमी.)
तेलंगाना (632 वर्ग किमी.)
ओडिशा (537 वर्ग किमी.)
कर्नाटक (155 वर्ग किमी.)
झारखंड (110 वर्ग किमी.)
क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण वाले 5 राज्य हैं-

मध्य प्रदेश (77,492.60) (25.14 प्रतिशत) अरुणाचल प्रदेश (66,430.67 वर्ग किमी.) (79.33 प्रतिशत)
छत्तीसगढ़ (55, 716.60 वर्ग किमी.)(41.21 प्रतिशत)
ओडिशा (52,155.95 वर्ग.किमी.)(33.50 प्रतिशत)
महाराष्ट्र (50,797.76 वर्ग किमी.) (16.51 प्रतिशत)
सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले 5 राज्य हैं-

मिजोरम (84.53 प्रतिशत)
अरुणाचल प्रदेश (79.33 प्रतिशत)
मेघालय (76.00 प्रतिशत)
मणिपुर (74.34 प्रतिशत)
नगालैंड (73.90 प्रतिशत)
17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन आच्छादित है।
इन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शीर्ष 5 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश हैं-
लक्षद्वीप‚ मिजोरम‚ अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह‚ अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में 75 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र हैं।
जबकि 12 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों अर्थात मणिपुर‚ नगालैंड‚ त्रिपुरा‚ गोवा‚ केरल‚ सिक्किम‚ उत्तराखंड‚ छत्तीसगढ‚ दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव‚ असम तथा ओडिशा में वन क्षेत्र 33 प्रतिशत से 75 प्रतिशत के बीच है।
उत्तर प्रदेश में कुल वनावरण 14,817.89 वर्ग किमी. (6.15 प्रतिशत) है।
देश में कुल मैंग्रोव कवर 4,992 वर्ग किमी. है‚ जो कि कुल भौगोलिक क्षेत्र का 0.15 प्रतिशत है।
देश के सर्वाधिक मैंग्रोव आच्छादित 4 राज्य/संघीय क्षेत्र क्रमश: पश्चिम बंगाल (42.33 प्रतिशत)‚ गुजरात (23.54 प्रतिशत)‚ अंडमान निकोबार द्वीप समूह (12.34 प्रतिशत) तथा आंध्र प्रदेश (8.11 प्रतिशत) हैं।
मैंग्रोव क्षेत्र में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य ओडिशा (8 वर्ग किमी.)‚ महाराष्ट्र (4 वर्ग किमी.) तथा कर्नाटक (3 वर्ग किमी.) हैं।
देश के वनों में कुल कॉर्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होने का अनुमान है और 2019 के अंतिम आकलन की तुलना में देश के कॉर्बन स्टॉक में 79.4 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।
कॉर्बन स्टॉक में वार्षिक वृद्धि 39.7 मिलियन टन है।
ISFR-2021 में भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) ने भारत के टाइगर रिजर्र्व‚ कॉरिडोर और शेर संरक्षण क्षेत्र में वन आवरण के आकलन से संबंधित एक नया अध्याय शामिल किया है।
इसमें एफएसआई की नई पहल के तहत एक नया अध्याय जोड़ा गया है‚ जिसमें ‘जमीन से ऊपर बायोमास’ का अनुमान लगाया गया है।
एफएसआई ने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेव्नâोलॉजी एंड साइंस (बिट्स) पिलानी के गोवा कैंपस के सहयोग से भारतीय वनों में जलवायु परिवर्तन हॉटस्पॉट की मैपिंग पर आधारित एक अध्ययन किया।
यह सहयोगात्मक अध्ययन भविष्य की तीन समय अवधियों यानी वर्ष 2030, 2050 और 2085 के लिए तापमान और वर्षा डेटा पर कंप्यूटर-आधारित अनुमान का उपयोग करते हुए भारत में वनावरण पर जलवायु हॉटस्पॉट का मानचित्रण करने के उद्देश्य से सहयोगात्मक अध्ययन किया गया था।
रिपोर्ट में पहाड़ी‚ आदिवासी जिलों और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में वनावरण पर विशेष विषयगत जानकारी भी अलग से दी गई है।
ज्ञातव्य है कि देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India) द्वारा प्रत्येक 2 वर्ष पर सुदूर संवेदन (Remote Sensing) आधारित उपग्रह चित्रण के माध्यम से देश में वनों एवं वृक्षों की स्थिति पर ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट’ जारी की जाती है।

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