
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) से संबंधित भारत का रुख लंबे समय से स्पष्ट और अडिग रहा है। इस मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को आपसी बातचीत के माध्यम से ही सुलझाना होगा। नई दिल्ली में आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने दोहराया कि भारत का एकमात्र लंबित मुद्दा पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों को मुक्त कराना है।
सिंधु जल संधि पर पूछे गए सवाल के जवाब में श्री जायसवाल ने कहा कि यह संधि आपसी सद्भाव और मित्रता की भावना से संपन्न हुई थी, लेकिन पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर इन सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत की सुरक्षा पर कैबिनेट समिति के निर्देशानुसार, अब यह संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को पूरी तरह, विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से समाप्त नहीं करता।
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर पूछे गए सवाल पर प्रवक्ता ने बताया कि 10 मई को पाकिस्तानी उच्चायोग के अनुरोध पर दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बनी। उन्होंने बताया कि कुछ तकनीकी कठिनाइयों के बाद, 15:35 बजे युद्धविराम लागू हुआ। यह सहमति भारतीय वायुसेना द्वारा 10 मई की सुबह पाकिस्तानी वायुसेना के ठिकानों पर किए गए प्रभावी हमलों के बाद बनी, जिसके चलते पाकिस्तान को गोलीबारी रोकनी पड़ी।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री जायसवाल ने कहा कि भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच उभरती सैन्य परिस्थितियों पर कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने स्पष्ट किया कि 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से लेकर 10 मई को संघर्ष विराम तक जो भी बातचीत हुई, उसमें व्यापार से संबंधित कोई मुद्दा नहीं उठा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा परमाणु युद्ध की अटकलों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि भारत की सैन्य कार्रवाई पूरी तरह पारंपरिक सीमाओं में रही है और खुद पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने भी परमाणु हमले की संभावना को खारिज किया है। श्री जायसवाल ने जोर देकर कहा कि भारत किसी भी तरह के परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा और इसका बहाना बनाकर सीमा पार आतंकवाद को नहीं चलने देगा।
अंत में, उन्होंने यह भी बताया कि भारत बीते दो वर्षों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम के साथ जानकारी साझा कर रहा है कि लश्कर-ए-तैयबा के मोर्चे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)’ को आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध क्यों किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही इस संबंध में और प्रमाण प्रस्तुत करेगा।
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