
प्रधानमंत्री मोदी(PM Modi) ने हाल ही में राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को स्पष्ट और निर्णायक रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” को राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति केंद्र सरकार की शून्य सहिष्णुता और कोई समझौता नहीं की नीति की सबसे ठोस अभिव्यक्ति बताया।
इस ऑपरेशन के अंतर्गत लिए गए निर्णय — सिंधु जल संधि का निलंबन, आतंकी शिविरों पर सटीक सैन्य हमले, सीमा पार व्यापार का स्थगन और वीजा रद्दीकरण — सभी कदम न केवल रणनीतिक थे, बल्कि उन्होंने भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाया।
प्रधानमंत्री मोदी(PM Modi) द्वारा प्रस्तुत नीति तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है:
भारत की शर्तों पर निर्णायक जवाबी कार्रवाई,
परमाणु धमकियों के लिए पूर्ण अस्वीकार्यता,
आतंकियों और उनके समर्थकों में कोई अंतर न करना।
इन सिद्धांतों के आधार पर भारत ने एक स्पष्ट संदेश दिया है — “आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते।” इसी रुख को दर्शाते हुए अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया गया है, द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित किया गया है, वीजा रद्द कर दिए गए हैं और सिंधु जल संधि को रोक दिया गया है।
इन सभी कड़े कदमों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब किसी भी प्रकार के आतंकवाद के प्रति न तो सहिष्णु रहेगा और न ही कूटनीतिक संतुलन के नाम पर अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता करेगा। सरकार की यह नीति भारत की सुरक्षा, गरिमा और संप्रभुता की रक्षा के प्रति उसकी दृढ़ प्रतिबद्धता को मजबूती से रेखांकित करती है।
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